कला, साहित्य और संस्कृति
मध्यमवर्गीय सिनेमा की हिन्दी सिनेमा पर अमिट छाप: ‘चुपके चुपके’ पर एक टिप्पणी
स्त्रोत साठ के दशक के उत्तरार्ध में हिन्दी सिनेमा में बहुत से नए परिवर्तन देखने को मिल रहे थे। भारतीय
Read moreओपिनियन तंदूर फ़िल्म क्लब: गर्म हवा की दर्शक-समीक्षा
वह दौर बहुत मुश्किल रहा होगा। गर्म हवा फिल्म देखकर यही महसूस हुआ। कई घर उजड़े होंगे, कई दिल टूटे
Read moreदर्शकों के मन में हलचल पैदा करने वाले नाटक ‘खिड़की’ द्वारा रंगलोक नाट्य उत्सव का समापन
रंगलोक नाट्य महोत्सव के तीसरे संस्करण का इस गुरुवार आगरा शहर के सूरसदन प्रेक्षागृह में प्रिज़्म नाट्य समूह की प्रस्तुति
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