फ़िल्म क्लब

कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

ओपिनियन तंदूर फ़िल्म क्लब: गर्म हवा की दर्शक-समीक्षा 

वह दौर बहुत मुश्किल रहा होगा। गर्म हवा  फिल्म देखकर यही महसूस हुआ। कई घर उजड़े होंगे, कई दिल टूटे

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कला, साहित्य और संस्कृतिविश्लेषणसमीक्षा

साहित्य के फिल्मों में अनुरूपण की चुनौतियाँ: ‘शतरंज के खिलाड़ी’ और ‘चोखेर बाली’ का मूल्यांकन

फ़िल्मों की साहित्य पर निर्भरता हमेशा से रही है। बीसवीं सदी के अंत में जब फिल्मों के माध्यम का उदय

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