ओपिनियन तंदूर फ़िल्म क्लब: गर्म हवा की दर्शक-समीक्षा 

वह दौर बहुत मुश्किल रहा होगा। गर्म हवा  फिल्म देखकर यही महसूस हुआ। कई घर उजड़े होंगे, कई दिल टूटे

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विभाजन की त्रासदी से रूबरू कराता ‘जिस लाहौर नई वेखया, ओ जमिया ही नई’ नाटक का रंगलोक द्वारा मंचन

  भारत–पाकिस्तान का विभाजन एक ऐसी मानव–निर्मित त्रासदी है जिसने इतिहास के सबसे बड़े मानव–विस्थापनों में से एक को जन्म

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धारावाहिक ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’ (1988): यथार्थ, यथार्थवाद और संवेदना के बीच तालमेल ।

  भारतीय टेलिविज़न के मौजूदा स्वरूप को देखकर यह अंदाज़ा नही लगाया जा सकता है कि कभी धारावाहिकों और टीवी

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