शतरंज के खिलाड़ी

कला, साहित्य और संस्कृतिविश्लेषणसमीक्षा

साहित्य के फिल्मों में अनुरूपण की चुनौतियाँ: ‘शतरंज के खिलाड़ी’ और ‘चोखेर बाली’ का मूल्यांकन

फ़िल्मों की साहित्य पर निर्भरता हमेशा से रही है। बीसवीं सदी के अंत में जब फिल्मों के माध्यम का उदय

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कला, साहित्य और संस्कृतिनिबंधविश्लेषणसमीक्षा

शतरंज के खिलाड़ी में सामंतवाद और रीतिकालीन साहित्य के अवसान का आभास

किसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित कहानी को गहराई से समझने के लिए, उसके देशकाल, वातावरण, और उद्देश्य से अवगत होना आवश्यक है।

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