नाट्य अभिव्यक्ति को नए आयाम देती रंगलोक की साहसिक प्रस्तुति- ‘कोर्ट मार्शल’
कला के क्षेत्र में एक शब्द जिसका अकसर प्रयोग किया जाता है, वह है पैथोस। कलात्मक अभिव्यक्तियों के लिए इस
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Read Moreस्टाइनवे ग्रांड पियानो का एक विज्ञापन और दो अजनबियों के अकेलेपन को जोड़ते कुछ टेलीफोन कॉल्स। हंगरी के लेखक फ़ेरेन्क
Read Moreवनमाखी में गरिमा मिश्रा (साभार: रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान) सूरसदन सभागर के तल में बने छोटे से मंच पर शनिवार शाम
Read Moreजहाँ बड़े शहरों में नाटकों का मंचन वाणिज्यिक और गैर-वाणिज्यिक रूप से निरन्तर होता रहता है, वहीं छोटे शहरों में
Read Moreबैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय में ‘अरे भाई मंटो!’ का मंचन आगरा में लगभग एक दशक से स्थापित हो चुके थिएटर
Read Moreरंगमंच:14 दिसम्बर को रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान ने आगरा के सूरसदन ऑडिटोरियम में प्रख्यात अदाकार, लेखक और कवि – पियूष मिश्रा
Read Moreप्रस्तावना: किसी भी सामाजिक आलोचना में बहुत सम्भावनाएँ छुपी होती हैं। कला के माध्यम से की गई सामाजिक आलोचना और
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