‘अरे यायावर रहेगा याद?’- अज्ञेय का बहुआयामी यात्रा संस्मरण

1953 में प्रकाशित अज्ञेय द्वारा लिखा गया यात्रा-संस्मरण, अरे यायावर रहेगा याद? हिंदी साहित्य के इतिहास में संग्रहणीय है।  आठ अध्याय में विभाजित यह कृति एक महत्वपूर्ण दस्तावेज

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ताज महोत्सव का आगरा के सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य के लिए महत्व

अगर आप आगरा शहर के पुराने बाशिंदे हैं और यदि आप इस शहर की सबसे पुराने और स्थापित सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं में

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आगरा में बढ़ते खेल स्पर्धाओं के मौके: दया मेमोरियल बैडमिंटन टूर्नामेंट

श्रीमती दया मेमोरियल बैडमिंटन टूर्नामेंट में विजेता, उप-विजेता और प्रतिभागी अपने प्रशिक्षकों के साथ आगराशहर में लोगों की खेलों में

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पोंडीचेरी को समझने की एक नाकाम कोशिश

पोंडीचेरी या पुडुचेरी के बोलिवार्ड के नक्शे को देखेंगे तो पाएंगे कि लम्बी लम्बी लकीरों से कई सारी छोटी छोटी

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आगरा में शौपिंग मौल्स की असफलता- एक सांस्कृतिक चुनौती

प्रस्तावना: शौपिंग मौल्स भले ही बड़े शहरों में आधुनिक उपभोक्ता की पहली पसंद बन चुके हों पर आगरा में उनका

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