लुबना सलीम की ‘गुड़म्बा’ नाटक में एकल प्रस्तुति- एक लघु समीक्षा

मशहूर लेखक ज़ावेद सिद्दीकी द्व्रारा लिखित तथा सलीम आरिफ़ द्वारा निर्देशित संवेदनशील एकल नाटक ‘गुड़म्बा’, 27 जुलाई को सूरसदन प्रेक्षागृह

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भीड़ की चुप्पी की संस्कृति को रेखांकित करते नाटक ‘बकरी’ का रंगलोक द्वारा मंचन

भीड़ का भी अपना एक समाजशास्त्र होता है। सामाजिक मनोविश्लेषण में भीड़ की मानसिकता का अकसर उल्लेख किया जाता है।

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धर्म, सत्ता और समाज के अंतर्संबंधों पर प्रकाश डालता नाटक ‘कबीरा खड़ा बाज़ार में’

आम तौर पर कबीरदास का परिचय 15वीं शताब्दी में चले भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख कवि और रचनाकार के रूप

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लियो टॉल्सटॉय की कहानी को नया प्रसंग और अर्थ प्रदान करती नाट्य प्रस्तुति-‘व्लादीमीर का हीरो’

लियो टॉल्सटॉय के साहित्य में  ज़ारशाही के समय के रूस में फैली बदहाली और मुफलिसी और उससे पीड़ित और परेशान

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‘हमसफर’ नाटक की प्रस्तुति: एक टूटे हुए रिश्ते की सिसीफस-नुमा कहानी

ग्रीक पौराणिक कथा में सिसीफस नाम का एक किरदार है। सिसीफस को ग्रीक देवताओं द्वारा एक अभिशाप मिला था जिसके

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