व्यंग्य
रंगलोक सांस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित 'नाट्य कोलाज' का आगाज़
हम बिहार से चुनाव लड़ रहे हैं समय और युग के परिवर्तन के बावजूद प्रासंगिक रहने वाली साहित्यिक कृतियाँ एक
Read moreरंगलोक द्वारा ‘ताजमहल का टेंडर’ की प्रस्तुति: कटाक्ष और हास्य का ज़िम्मेदार उपयोग
कटाक्ष और व्यंग्य को अकसर मात्रहास्य से जोड़कर देखा जाताहै। पर इस विधाको केवल इस रूप मेंदेखना एक सीमित नज़रिया का
Read moreअभिव्यक्ति में संभावनाएँ: ‘रंगलोक’ समूह द्वारा ‘जाति ही पूछो साधू की’ नाटक का मंचन।
प्रस्तावना: किसी भी सामाजिक आलोचना में बहुत सम्भावनाएँ छुपी होती हैं। कला के माध्यम से की गई सामाजिक आलोचना और
Read moreतंदूरी Opinion-I
तंदूरी Opinion-I
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