रंगलोक नाट्य महोत्सव का रघुवीर यादव के ‘पियानो’ के साथ उम्दा आग़ाज़

स्टाइनवे ग्रांड पियानो का एक विज्ञापन और दो अजनबियों के अकेलेपन को जोड़ते कुछ टेलीफोन कॉल्स। हंगरी के लेखक फ़ेरेन्क

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प्रयोगात्मक नाट्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण: रंगलोक द्वारा ‘वनमाखी’ की प्रस्तुति

वनमाखी में गरिमा मिश्रा (साभार: रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान) सूरसदन सभागर के तल में बने छोटे से मंच पर शनिवार शाम

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‘पंछी ऐसे आते हैं’: रंगलोक द्वारा संजीदगी और हास्य लिए संतुलित मंचन

जहाँ बड़े शहरों में नाटकों का मंचन वाणिज्यिक और गैर-वाणिज्यिक रूप से निरन्तर होता रहता है, वहीं छोटे शहरों में

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जब रंगलोक ने आगरा को मंटो से मिलाया

बैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय में ‘अरे भाई मंटो!’ का मंचन आगरा में लगभग एक दशक से स्थापित हो चुके थिएटर

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"जब शहर हमारा सोता है": रंगलोक समूह का उत्कृष्ट मंचन

रंगमंच:14 दिसम्बर को रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान ने आगरा के सूरसदन ऑडिटोरियम में प्रख्यात अदाकार, लेखक और कवि – पियूष मिश्रा

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