समीक्षा

कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

रंगलोक द्वारा ‘ताजमहल का टेंडर’ की प्रस्तुति: कटाक्ष और हास्य का ज़िम्मेदार उपयोग

कटाक्ष और व्यंग्य को अकसर मात्रहास्य से जोड़कर देखा जाताहै। पर इस विधाको केवल इस रूप मेंदेखना एक सीमित नज़रिया का परिचायकहै।

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

‘सिटीज़ ऑफ़ स्लीप’ (2015): नींद का सामाजिक-आर्थिक गणित

गरीबी को कई चश्मों से देखा जाता रहा है। पहले इसे भौतिक वस्तुओं के अभाव में देखा जाता था। अमर्त्य

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

नाट्य अभिव्यक्ति को नए आयाम देती रंगलोक की साहसिक प्रस्तुति- ‘कोर्ट मार्शल’

कला के क्षेत्र में एक शब्द जिसका अकसर प्रयोग किया जाता है, वह है पैथोस। कलात्मक अभिव्यक्तियों के लिए इस

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

महाभारत पर आधारित नाटक 'पांसा' से रंगलोक नाट्य महोत्सव का समापन

  महाभारत एक ऐसी कृति है जिसकी अनेक व्याख्याएँ संभव हैं। पात्रों के बीच के जटिल अंतर्संबंधों के कारण अनेक

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

रंगलोक नाट्य महोत्सव का रघुवीर यादव के ‘पियानो’ के साथ उम्दा आग़ाज़

स्टाइनवे ग्रांड पियानो का एक विज्ञापन और दो अजनबियों के अकेलेपन को जोड़ते कुछ टेलीफोन कॉल्स। हंगरी के लेखक फ़ेरेन्क

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

प्रयोगात्मक नाट्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण: रंगलोक द्वारा ‘वनमाखी’ की प्रस्तुति

वनमाखी में गरिमा मिश्रा (साभार: रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान) सूरसदन सभागर के तल में बने छोटे से मंच पर शनिवार शाम

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

‘पंछी ऐसे आते हैं’: रंगलोक द्वारा संजीदगी और हास्य लिए संतुलित मंचन

जहाँ बड़े शहरों में नाटकों का मंचन वाणिज्यिक और गैर-वाणिज्यिक रूप से निरन्तर होता रहता है, वहीं छोटे शहरों में

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