मध्यमवर्गीय सिनेमा की हिन्दी सिनेमा पर अमिट छाप: ‘चुपके चुपके’ पर एक टिप्पणी
स्त्रोत साठ के दशक के उत्तरार्ध में हिन्दी सिनेमा में बहुत से नए परिवर्तन देखने को मिल रहे थे। भारतीय
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Read moreवह दौर बहुत मुश्किल रहा होगा। गर्म हवा फिल्म देखकर यही महसूस हुआ। कई घर उजड़े होंगे, कई दिल टूटे
Read moreरंगलोक नाट्य महोत्सव के तीसरे संस्करण का इस गुरुवार आगरा शहर के सूरसदन प्रेक्षागृह में प्रिज़्म नाट्य समूह की प्रस्तुति
Read moreअभिव्यक्ति की कोई भी विधा हो, एक विषय जिस पर बहुत सी रचनाएँ रचित की जाती हैं वह है किसी
Read moreहाल ही में डिम्पी मिश्रा को वर्ष 2018 के लिए नाट्य निर्देशन की विधा में उनके योगदान के लिए उत्तर
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