Author: सुमित चतुर्वेदी

कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

रंगलोक सांस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित 'नाट्य कोलाज' का आगाज़

हम बिहार से चुनाव लड़ रहे हैं समय और युग के परिवर्तन के बावजूद प्रासंगिक रहने वाली साहित्यिक कृतियाँ एक

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

रंगलोक द्वारा ‘ताजमहल का टेंडर’ की प्रस्तुति: कटाक्ष और हास्य का ज़िम्मेदार उपयोग

कटाक्ष और व्यंग्य को अकसर मात्रहास्य से जोड़कर देखा जाताहै। पर इस विधाको केवल इस रूप मेंदेखना एक सीमित नज़रिया का परिचायकहै।

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कला, साहित्य और संस्कृतिनिबंध

पीपुल्स लाइब्रेरिया- मात्र पुस्तकालय नहीं पर एक बौद्धिक-सांस्कृतिक स्पेस

 साभार: पीपुल्स लाइब्रेरिया आगरा शहर में लगातार शुरु हो रहे नए बौद्धिक और सांस्कृतिक गतिविधियों और प्रयोगों में एक और

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

‘सिटीज़ ऑफ़ स्लीप’ (2015): नींद का सामाजिक-आर्थिक गणित

गरीबी को कई चश्मों से देखा जाता रहा है। पहले इसे भौतिक वस्तुओं के अभाव में देखा जाता था। अमर्त्य

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

नाट्य अभिव्यक्ति को नए आयाम देती रंगलोक की साहसिक प्रस्तुति- ‘कोर्ट मार्शल’

कला के क्षेत्र में एक शब्द जिसका अकसर प्रयोग किया जाता है, वह है पैथोस। कलात्मक अभिव्यक्तियों के लिए इस

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कला, साहित्य और संस्कृतिरिपोर्ट

स्मरण प्रेमचंद- 17 संगोष्ठी, आगरा: पत्रकारिता की विरासत और प्रेमचंद

​ प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष में उनकी जन्म वर्षगांठ 31 जुलाई को आरम्भ हुए एक माह तक चलने वाले,

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

महाभारत पर आधारित नाटक 'पांसा' से रंगलोक नाट्य महोत्सव का समापन

  महाभारत एक ऐसी कृति है जिसकी अनेक व्याख्याएँ संभव हैं। पात्रों के बीच के जटिल अंतर्संबंधों के कारण अनेक

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