Author: सुमित चतुर्वेदी

कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

रंगलोक नाट्य महोत्सव का रघुवीर यादव के ‘पियानो’ के साथ उम्दा आग़ाज़

स्टाइनवे ग्रांड पियानो का एक विज्ञापन और दो अजनबियों के अकेलेपन को जोड़ते कुछ टेलीफोन कॉल्स। हंगरी के लेखक फ़ेरेन्क

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कला, साहित्य और संस्कृतिनिबंध

रेख़्ता (उर्दू बोली) को समेट कर पेश कर रही एक अद्भुत साइट- रेख़्ता

पिछले ही कुछ दिनों में फेसबुक पर जाते हीबीच–बीच मेंउर्दू की कुछ बेहतरीनशायरी, गज़लें देखने को मिलजाती थीं। फिर कुछ

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

प्रयोगात्मक नाट्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण: रंगलोक द्वारा ‘वनमाखी’ की प्रस्तुति

वनमाखी में गरिमा मिश्रा (साभार: रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान) सूरसदन सभागर के तल में बने छोटे से मंच पर शनिवार शाम

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कला, साहित्य और संस्कृतिनिबंध

आगरा शहर के बनते बिगड़ते सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल

हाल ही में आगरा में स्थित मेहर टॉकीज़ (जो कि एक सिंगल स्क्रीन सिनेमा है) में एक फिल्म देखी तो

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

‘पंछी ऐसे आते हैं’: रंगलोक द्वारा संजीदगी और हास्य लिए संतुलित मंचन

जहाँ बड़े शहरों में नाटकों का मंचन वाणिज्यिक और गैर-वाणिज्यिक रूप से निरन्तर होता रहता है, वहीं छोटे शहरों में

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निबंधराजनीति, नीति और शासनविश्लेषण

आगरा शहर में सवा घंटे से ऊपर साइकिल चलाना हो सकता है घातक

साइकिल यातायात को बेहतर स्वास्थ्य के लिए भले ही आवश्यक माना जाता हो पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

जब रंगलोक ने आगरा को मंटो से मिलाया

बैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय में ‘अरे भाई मंटो!’ का मंचन आगरा में लगभग एक दशक से स्थापित हो चुके थिएटर

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