समाज

कला, साहित्य और संस्कृतिटेलिविजननिबंध

हिन्दी धारावाहिकों पर आलोचनात्मक पत्रकारिता का अभाव

दोपहर के एक या दो बजे के समय अगर आप कोई भी जाना-माना हिन्दी समाचार चैनल (एक दो को छोड़कर)

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कला, साहित्य और संस्कृतिनाट्यकलासमीक्षा

भीड़ की चुप्पी की संस्कृति को रेखांकित करते नाटक ‘बकरी’ का रंगलोक द्वारा मंचन

भीड़ का भी अपना एक समाजशास्त्र होता है। सामाजिक मनोविश्लेषण में भीड़ की मानसिकता का अकसर उल्लेख किया जाता है।

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कला, साहित्य और संस्कृतिनिबंधयात्रा, खेल और फुर्सत

ताज महोत्सव का आगरा के सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य के लिए महत्व

अगर आप आगरा शहर के पुराने बाशिंदे हैं और यदि आप इस शहर की सबसे पुराने और स्थापित सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं में

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कला, साहित्य और संस्कृतिनाट्यकलासमीक्षा

धर्म, सत्ता और समाज के अंतर्संबंधों पर प्रकाश डालता नाटक ‘कबीरा खड़ा बाज़ार में’

आम तौर पर कबीरदास का परिचय 15वीं शताब्दी में चले भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख कवि और रचनाकार के रूप

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कला, साहित्य और संस्कृतिनाट्यकलासमीक्षा

मीरा के जीवन पर रंगलोक द्वारा भव्य और समावेशी नृत्य नाटिका

  भक्तिकाल के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों और रचनाकारों की बात करें तो मीरा का नाम लेना स्वाभाविक भी है पर साथ

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कला, साहित्य और संस्कृतिनिबंध

पीपुल्स लाइब्रेरिया- मात्र पुस्तकालय नहीं पर एक बौद्धिक-सांस्कृतिक स्पेस

 साभार: पीपुल्स लाइब्रेरिया आगरा शहर में लगातार शुरु हो रहे नए बौद्धिक और सांस्कृतिक गतिविधियों और प्रयोगों में एक और

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कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

जब रंगलोक ने आगरा को मंटो से मिलाया

बैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय में ‘अरे भाई मंटो!’ का मंचन आगरा में लगभग एक दशक से स्थापित हो चुके थिएटर

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