देश भर के सूचना आयोगों पर सतर्क नागरिक संगठन का रिपोर्ट कार्ड- तीन लाख से अधिक लंबित मामले, निष्क्रिय आयोग, मुख्य सूचना आयुक्तों का अभाव
देश के सभी राज्य सूचना आयोगों एवं केन्द्रीय सूचना आयोग में कुल मिलाकर तीन लाख से अधिक शिकायतें/अपील लंबित हैं। महाराष्ट्र सूचना आयोग में सबसे अधिक, 1,15,524 शिकायतें/अपील लंबित हैं जबकि दूसरे नंबर पर कर्नाटक सूचना आयोग है जहाँ 41,047 शिकायतें/अपील लंबित हैं और तीसरा नंबर उत्तर प्रदेश सूचना आयोग का है जहाँ 27,163 शिकायतें/अपील लंबित पड़ी हैं। स्वयं केन्द्रीय सूचना आयोग इस सूची में चौथे नंबर पर है जिसमें 20,078 शिकायतें/अपील लंबित हैं। यह चिंताजनक जानकारी सतर्क नागरिक संगठन (एस.एन.एस.) द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम (आर.टी.आई. एक्ट) 2005 के लागू होने के 18 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रकाशित “भारत में सूचना आयोगों के प्रदर्शन पर रिपोर्ट कार्ड- 2022-23” नामक रिपोर्ट में सामने आई है। एस.एन.एस. ने देश के सभी सूचना आयोगों में आर.टी.आई. एक्ट के अंतर्गत कुल 174 आवेदन कर यह जानकारी एकत्रित की है।
सूचना आयोग | 30 जून 2023 तक लंबित अपील एवं शिकायतें | |
महाराष्ट्र * | 1,15,524 | |
कर्नाटक | 41,047 | |
उत्तर प्रदेश | 27,163 | |
केंद्रीय सूचना आयोग | 20,078 | |
छत्तीसगढ़ | 17,567 | |
ओडिशा | 16,703 | |
पश्चिम बंगाल | 11,871 | |
राजस्थान | 10,988 | |
तेलंगाना | 10,030 | |
मध्य प्रदेश | 9,078 | |
बिहार | 8,185 | |
झारखंड # | 7,768 | |
केरल | 5,228 | |
हरयाणा | 4,783 | |
गुजरात | 4,632 | |
पंजाब | 4,069 | |
आंध्र प्रदेश @ | 3,245 | |
उत्तराखंड | 1,713 | |
अरुणाचल प्रदेश | 786 | |
हिमाचल प्रदेश | 503 | |
असम | 279 | |
गोवा | 184 | |
मणिपुर | 75 | |
मेघालय | 17 | |
नागालैंड | 13 | |
मिज़ोरम | 6 | |
सिक्किम | 2 | |
त्रिपुरा | निष्क्रिय | |
तमिल नाडु | जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई | |
कुल | 3,21,537 | |
* 31 दिसंबर 2022 तक लंबित मामले
# मई 2020 तक लंबित मामले जब आयोग निष्क्रिय हो गया था
@ मई 2023 तक लंबित मामले
स्त्रोत: एस एन एस का 2022-23 वार्षिक रिपोर्ट कार्ड
वर्ष 2022-23 के दौरान सभी आयोगों में कुल मिलाकर 2,20,382 अपील अथवा शिकायतें दर्ज की गईं जबकि कुल 2,14,698 मामलों का निस्तारण किया गया। महाराष्ट्र सूचना आयोग में सबसे अधिक अपीलें अथवा शिकायतें दर्ज की गईं हालांकि इनके निस्तारण के मामले में यह आयोग पाँचवे स्थान पर रहा। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मामलों का निस्तारण किया गया।
सूचना आयोग | दर्ज की गईं अपील एवं शिकायतें | निस्तारित की गईं अपील एवं शिकायतें |
उत्तर प्रदेश | 29,637 | 48,607 |
केंद्रीय सूचना आयोग | 20,083 | 27,452 |
कर्नाटक | 30,207 | 21,516 |
राजस्थान | 15,860 | 18,040 |
महाराष्ट्र* | 30,479 | 14,297 |
बिहार | 12,063 | 11,887 |
तमिल नाडु | जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई | 9,281 |
पंजाब | 8,166 | 8,768 |
आंध्र प्रदेश | 9,247 | 7,843 |
गुजरात | 10,025 | 6,676 |
हरयाणा | 7,548 | 6,526 |
तेलंगाना | 7,895 | 6,481 |
ओडिशा | 5,697 | 6,379 |
केरल | 2,879 | 5,180 |
मध्य प्रदेश | 8,650 | 4,704 |
छत्तीसगढ़ | 11,594 | 4,083 |
उत्तराखंड | 4,197 | 3,725 |
असम | 1,509 | 1,243 |
हिमाचाल प्रदेश | 837 | 511 |
पश्चिम बंगाल | 1,922 | 493 |
गोआ | 426 | 408 |
अरुणाचल प्रदेश | 1,054 | 268 |
मणिपुर | 228 | 208 |
नागालैंड | 61 | 50 |
सिक्किम | 32 | 30 |
मिज़ोरम | 42 | 24 |
मेघालय | 44 | 18 |
झारखंड | निष्क्रिय | निष्क्रिय |
त्रिपुरा | निष्क्रिय | निष्क्रिय |
कुल जोड़ | 2,20,382 | 2,14,698 |
*यह आंकड़ा जुलाई 2022 से दिसंबर 2022 तक का है।
स्त्रोत: एस एन एस का 2022-23 वार्षिक रिपोर्ट कार्ड
जैसा कि ऊपर दी गई तालिका में देखा जा सकता है, तमिल नाडु सूचना आयोग ने कई विषयों पर सूचना देने से मना कर दिया है।
आर.टी.आई. एक्ट के तहत नागरिक किसी भी सरकारी कार्यालय के जन सूचना अधिकारी द्वारा असंतोषजनक अथवा कोई जानकारी ना मिलने पर उसी कार्यालय में नियुक्त प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास जन सूचना अधिकारी के उत्तर के विरुद्ध अपील करते हैं। प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा दिए गए निर्णय से असंतुष्ट होने पर अभ्यार्थी सूचना आयोग के पास द्वितीय अपील करते हैं। सूचना आयोग को यदि यह लगता है कि आवेदक को वांछित जानकारी मिलने का अधिकार है तो वह जन सूचना अधिकारी को निर्देश देता है कि वह आवेदक को माँगी गई जानकारी उपलब्ध कराए। किसी मामले में यदि आयोग को लगता है कि सूचना अधिकारी पर दण्डात्मक कार्यवाही भी होनी चाहिए तो उस पर आर.टी.आई. एक्ट के प्रावधानों के अनुसार आर्थिक दण्ड भी लगाया जाता है। इस काम को सूचना आयोग में नियुक्त सूचना आयुक्त करते हैं। सभी आयोगों में एक मुख्य सूचना आयुक्त भी होता है जो आयोग की सभी कार्यवाही का निर्देशन करता है।
लंबित मामलों की भारी संख्या इसलिए चिंताजनक है क्योंकि इनके निस्तारण के अभाव में जन सूचना अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित नहीं हो पा रही है एवं सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रभाव कम हो रहा है। लंबित मामलों का एक बड़ा कारण सूचना आयोगों में सूचना आयुक्तों की कमी है। यह बात ना केवल एस एन एस ने अपने आकलन में बताई है बल्कि कई मामलों में देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों एवं सर्वोच्च न्यायालय ने भी कही है।
गौरतलब है कि इस रिपोर्ट के अनुसार देश के 29 सूचना आयोगों में से चार राज्यों के आयोग- झारखंड, त्रिपुरा, तेलंगाना एवं मिज़ोरम- कोई भी सूचना आयुक्त ना होने के कारण निष्क्रिय हैं । इसके अलावा कई आयोगों में मुख्य सूचाना आयुक्त नियुक्त नहीं किया गया है, जिसमें केन्द्रीय सूचना आयोग भी शामिल है। केन्द्रीय सूचना आयोग के मुख्य आयुक्त का कार्यकाल इसी वर्ष 3 अक्तूबर को पूरा हुआ है और फिलहाल यह पद रिक्त है। एस.एन.एस. की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में यह छठवीं बार है कि केन्द्रीय सूचना आयोग में मुख्य आयुक्त का पद खाली है।
रिपोर्ट के अनुसार मणिपुर का सूचना आयोग फरवरी 2019 से मुख्य आयुक्त के बिना काम कर रहा है। फिलहाल मौजूदा आयुक्तों में से एक को कार्यकारी आयुक्त नियुक्त कर दिया गया है जिसका कोई प्रावधान अधिनियम में नहीं है। छत्तीसगढ़ में दिसम्बर 2022 से कोई मुख्य आयुक्त नहीं है जबकि महाराष्ट्र सूचना आयोग अप्रैल 2023 से बिना मुख्या आयुक्त के काम कर रहा है। बिहार में मई 2023 से और पंजाब में सितम्बर 2023 से मुख्य सूचना आयुक्त नहीं है।
रिपोर्ट में आर.टी.आई. एक्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि अधिनियम के अंतर्गत सूचना आयोगों में मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा दस सूचना अयुक्तों को नियुक्त करने का प्रावधान दिया गया है। हालांकि देश के कई सूचना आयोग, सूचना आयुक्तों की अपर्याप्त संख्या के साथ काम कर रहे हैं जिनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार एवं ओडिशा के सूचना आयोग शामिल हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि केन्द्रीय सूचना आयोग ने प्रत्येक सूचना आयुक्त के लिए प्रति-वर्ष 3200 मामलों के निस्तारण का मानक निर्धारित किया है। हालांकि राज्य सूचना आयोगों ने इस प्रकार का कोई मानक नहीं बनाया है। गौरतलब है कि सूचना आयोगों में अपर्याप्त संख्या में सूचना आयुक्तों होने के कारण संभव है कि यह मानक भी लंबित अपीलों अथवा शिकायतों की संख्या को तेज़ी से बढ़ने से रोकने में अपर्याप्त ही रहेगा।
(सतर्क नागरिक संगठन की पूरी रिपोर्ट अंग्रेज़ी में यहाँ पढ़ी जा सकती है।)