कला, साहित्य और संस्कृतिसमीक्षा

रंगलोक नाट्य महोत्सव का रघुवीर यादव के ‘पियानो’ के साथ उम्दा आग़ाज़

स्टाइनवे ग्रांड पियानो का एक विज्ञापन और दो अजनबियों के अकेलेपन को जोड़ते कुछ टेलीफोन कॉल्स। हंगरी के लेखक फ़ेरेन्क कैरिन्थी द्वारा लिखित फ्रेंच नाटक ‘स्टाइनवे ग्रांड’ के हिन्दी रूपान्तरण- ‘पियानो’ से इस तरह शनिवार को आग़ाज़ हुआ रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान द्वारा आयोजित रंगलोक नाट्य महोत्सव का। जाने माने कलाकार रघुवीर यादव द्वारा रूपान्तरित एवं निर्देशित इस नाटक में स्वयं उनके अलावा रोशनी अचरेजा का मुख्य किरदार था, जबकि अबीर यादव की सूत्रधार के रूप में मेहमान भूमिका थी।
सूरसदन प्रेक्षागृह में मंच पर प्रकाश हुआ और अचानक रघुवीर बींचोबीच एक बांसुरी बनाते हुए बैठे हुए दिखे। उनको तल्लीनता से बांसुरी पर काम करते हुए देख दर्शकों का ध्यान उनकी ओर खिंचा और फिर अगले लगभग डेढ़ घण्टे तक यह ध्यान उसी तरह बना रहा। एकाकीपन के मज़मून (थीम) पर आधारित इस नाटक में हास्य का एक बेहद संजीदा इस्तेमाल था। हास्य विधा की खास बात है कि बुद्धिमानी से इस्तेमाल किए जाने पर इसमें बहुत कुछ संजीदा सामने आ जाता है। ‘पियानो’ भी इसी का एक उदाहरण था।
हँसते-हँसाते इस प्रस्तुति ने, शहरी परिदृश्य की एक बेहद प्रासंगिक और जटिल समस्या, एकाकीपन के पेचीदा पहलूओं से दर्शकों का मर्मस्पर्शी परिचय करा दिया। इस दौरान रघुवीर यादव के अभिनय की विविधता और क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला। टेलीफोन पर शरारत के चलते कई किरदारों की आवाज़ में बोलते हुए रघुवीर ने अभिनय-कला में मानव-स्वर की विवधता और ताकत के प्रयोग और भूमिका का एक उत्कृष्ट उदाहरण दिया। वहीं रोशनी ने अपने किरदार में गम्भीरता को निभाते हुए रघुवीर के किरदार की चंचलता को एक फ्रेम और कॉन्ट्रास्ट प्रदान किया।
मंच की परिकल्पना और प्रकाश व्यवस्था ने नाटक के मूड को बेहद खूबसूरती से बाँधा। दो हिस्सों में बँटे मंच पर एक तरफ था एक साधारण सा, आम मकान और दूसरी तरफ था एक पौश दिखने वाला, समृद्धि लिए हुए घर का दृश्य, पर दोनों ही सेटिंग में निहित थी एकाकीपन और अवसाद की भावनाएँ।
नाटक, जिसका एक संदेश यह भी था कि कैसे संगीत मनुष्य के एकाकीपन को कुछ हद तक दूर कर सकता है, के आरम्भ और अन्त में छिड़ी रघुवीर की बाँसुरी की खूबसूरत तान और उनके बेटे अबीर का वाइलिन वादन पूरी प्रस्तुति को जोड़ते संगीतमय धागे के दो सिरों के समान थे। एक बेहतरीन आगाज़ के साथ शुरु हुए इस महोत्सव की पहली कड़ी को दर्शकों की खासी सरहाना मिली।
आने वाले दिनों की प्रस्तुतियाँ:
23 जुलाई: नटसम्राट (एकरंग समूह, भोपाल)
24 जुलाई: तुम सम पुरुष ना मो सम नारी (रंगलोक समूह, आगरा)
25 जुलाई: पाँसा (एसे कम्युनिकेशन्स, मुंबई)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *