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आगरा मेट्रो के प्रथम कॉरीडोर के 3 किमी लंबे एलीवेटेड भाग को एन.एम.ए की अनुमति पर कुछ प्रश्न

17 जुलाई, 2022 को एक विशेष मीटिंग में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एन.एम.ए) ने आगरा मेट्रो के प्रथम कॉरिडोर (ताज महल के पूर्वी गेट से सिकंदरा तक) के अंतिम तीन किमी के भाग में एलीवेटेड वायाडक्ट और मेट्रो स्टेशनों के निर्माण के लिए अनुमति दे दी है। इस भाग का निर्माण शहर के पाँच स्मारकों के निकट होना प्रस्तावित है जिनमें गुरु का ताल गुरुद्वारा, पत्थर का घोड़ा, सलाबत खान की कब्र, सादिक खान की कब्र और सिकंदरा शामिल हैं।

एन.एम.ए की 354वीं मीटिंग के रिकॉर्ड के अनुसार हेरिटेज इम्पैक्ट असेसमेंट (एच.आर.ए) (ऐतिहासिक धरोहर पर पड़ने वाले प्रभाव का अवलोकन) की रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माण कार्य के कारण इन स्मारकों के समीप भूमि-स्थगन और कंपन से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। 17 जुलाई की अपनी साइट विसिट में एन.एम.ए ने भी मेट्रो निर्माण के कारण इन स्मारकों पर किसी दुष्प्रभाव की कोई संभावना नहीं पाई। हालांकि एन.एम.ए की मीटिंग के इसी रिकॉर्ड में निर्माण कार्य के लिए बनाए गए नियम व शर्तों में आगे लिखा है कि निर्माण और उसके उपरांत के कार्यों के कारण स्मारकों को खतरे की चिंता कई बार जताई गई है जिसके कारण निर्माण कार्य की निरंतर निगरानी की जानी चाहिए।

एक ही दस्तावेज़ में इन दोनों कथनों से स्पष्ट रूप से विरोधाभास प्रकट होता है। गौरतलब है कि वर्ष 2020 के सितम्बर महीने में एन.एम.ए ने अपनी 280वीं मीटिंग में उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल निगम (यू.पी.एम.आर.सी) के चार केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के विनियमित क्षेत्र (स्मारक से 200 मी की दूरी तक) में एलीवेटेड निर्माण कार्य के प्रस्ताव को पारित करने से मना कर दिया था और निगम को संशोधित प्रस्ताव देने का निर्देश दिया था। साथ ही प्राधिकरण ने प्रतिबंधित क्षेत्र (स्मारक से 100 मी की दूरी तक) में प्रस्तावित निर्माण कार्य के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(ए.एस.आई) द्वारा अनुमति पर विचार की बात कही थी। 286वीं मीटिंग में यू.पी.एम.आर.सी द्वारा पुनः चार स्मारकों के विनियमित क्षेत्र में एलीवेटेड निर्माण कार्य की अनुमति के प्रस्ताव को एन.एम.ए ने फिर से ठुकरा दिया था।

आगरा मेट्रो की वर्ष 2017 में बनी डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डी.पी.आर), जिसमें मेट्रो के दो कॉरीडोर के प्रस्तावित निर्माण की जानकारी दी गई है, के अनुसार प्रथम मेट्रो कॉरीडोर के इस भाग का निर्माण कार्य सादिक खान की कब्र, सलामत खान की कब्र और सिकंदरा के विनियमित क्षेत्र में और गुरु का ताल गुरुद्वारा और पत्थर का घोड़ा के प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रस्तावित है जिसके लिए ए.एस.आई की अनुमति आवश्यक है। हाल के आदेश में एन.एम.ए ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यू.पी.एम.आर.सी ने विनियमित क्षेत्र में एलीवेटेड निर्माण कार्य के प्रस्ताव में संशोधन किया है या नहीं। इस आदेश में प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण कार्य के लिए ए.एस.आई की अनुमति का भी कोई ज़िक्र नहीं किया गया है। इन प्रश्नों पर स्पष्टीकरण के लिए एन.एम.ए को एक प्रशनावली भेजी गई थी जिसका एक सप्ताह उपरान्त भी कोई उत्तर नहीं मिला है। उत्तर मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट की जाएगी। पूछे गए प्रश्न इस प्रकार हैं –  

  • क्या यू.पी.एम.आर.सी ने अपने प्रस्ताव में ऐसे संशोधन किए हैं जिसमें गुरु का ताल गुरुद्वारा एवं पत्थर का घोड़ा स्मारकों के प्रतिबंधित क्षेत्र के बाहर निर्माण कार्य प्रस्तावित किया गया है?
  • यदि संशोधन नहीं किए गए हैं तो क्या ए.एस.आई द्वारा इन स्मारकों के प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण कार्य के लिए अनुमति ली जा चुकी है?
  • मेट्रो निर्माण कार्य से स्मारकों पर होने वाले प्रभाव को लेकर एच.आर.ए की रिपोर्ट और एन.एम.ए की साइट विज़िट के अवलोकन, और निर्माण कार्य की अनुमति के लिए शर्त और नियम में विरोधाभास क्यों है?

इससे पहले एन.एम.ए ने इस कॉरीडोर के आगरा किला, जामा मस्जिद और दिल्ली गेट के निकट भूमिगत निर्माण कार्य के लिए वर्ष 2021 के जुलाई महीने में अनुमति दी थी। प्राधिकरण की 311वीं मीटिंग के रिकॉर्ड के अनुसार इन स्मारकों पर भी निर्माण कार्य से प्रभाव होने की आशंका जताई गई थी। (इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए आप ओपिनियन तंदूर का अंग्रेज़ी लेख पढ़ सकते हैं।) एन.एम.ए ने वर्ष 2010 में अपनी स्थापना से लेकर पिछले वर्ष तक कुल सात मेट्रो प्रोजेक्ट को ऐतिहासिक स्मारकों के निकट, उन पर निर्माण कार्य से होने वाले संभावित प्रभाव के बावजूद, निर्माण की अनुमति दी है।

जहाँ आगरा मेट्रो के प्रथम कॉरीडोर का निर्माण आंशिक रूप से भूमिगत और आंशिक रूप से एलीवेटेड रूप में किया जाना है वहीं डी.पी.आर के अनुसार द्वितीय कॉरीडोर (आगरा कैन्ट रेलवे स्टेशन से लेकर कालिंदी विहार तक) पूर्ण रूप से एलीवेटेड रूप में ही बनाया जाना प्रस्तावित है। डी.पी.आर के अनुसार इस कॉरीडोर का निर्माण कार्य दो स्मारकों के प्रतिबंधित क्षेत्र तथा एक स्मारक के विनियमित क्षेत्र में किया जाना प्रस्तावित है। द्वितीय कॉरीडोर के इन स्मारकों के प्रतिबंधित एवं विनियमित क्षेत्र में एलीवेटेड निर्माण कार्य पर एन.एम.ए क्या रुख अपनाएगा यह देखना बाकी है।       

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