कला, साहित्य और संस्कृतिरिपोर्ट

आगरा पुस्तक मेला २०१८- साहित्य से परिचय का उत्तम अवसर

हो सकता है कि अलग-अलग शोध में हिन्दुस्तान में किताबों के पढ़ने के चलन के बारे में अलग-अलग नतीजे निकले हों पर आम तौर पर बातचीत के माध्यम से जो तस्वीर उभर कर सामने आती है उससे पता चलता है कि हमारे समाज में किताबें पढ़ने का चलन काम हुआ है और किताबों, लेखकों और साहित्य में हमारी रूचि भी। ऐसा शायद इसलिए है कि मनोरंजन और सूचना के लिए नित नए माध्यम अब बेहद आसानी से उपलब्ध होते जा रहे हैं जिनकी सामग्री त्वरित रूप से ग्राह्य हो जाती है जबकि पढ़ने के लिए समय और धैर्य दोनों की आवश्यकता होती है।

ऐसे में कुछ पुराने समय से चली आ रही ऎसी परम्पाराएँ हैं जो किताबों के शौक और शौकीनों के लिए कुछ आस बनाए रखती हैं और संभवत: नए लोगों को भी इस शौक से जोड़ पाने में कामयाब होती हैं। ऎसी ही एक परंपरा है पुस्तक-मेला। एक ही जगह पर कई सारे प्रकाशनों की ढेर सारी दुकानें और कुछ सस्ती और कुछ बहुत सस्ती किताबों को खरीदने के मौके, असल में यही है पुस्तक-मेले का सार। पर इसके अलावा पुस्तक मेला एक ऎसी स्पेस भी तैयार करता है जिसमें शहर के लोग एक साथ आकर किताबों की दुनिया से रूबरू हो पाते हैं। ऐसा ही एक पुस्तक मेला राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सौजन्य से आगरा कॉलेज के मैदान में १० मार्च से शुरू किया गया। नौ दिन चलने वाला यह मेला भले ही दिल्ली के प्रगति मैदान में लगाने वाले भव्य पुस्तक मेले जैसा बड़ा ना हो पर किताबों की यहां कोई कमी नहीं है। और पिछले दो दिन की भीड़ देखकर लगता है कि यहाँ आने वाले किताबों के शौकीनों की भी कमी नहीं है।

सभी लोग सभी किताबें खरीद कर घर ले जाएं ऐसा तो मुमकिन नहीं है पर किताबों के इस मेले में लोग किताबों के आवरण को देखते हैं तो कभी पिछले हिस्से पर लिखी किताब की समीक्षा को, कभी कुछ पन्ने पलट कर कुछ लाइनों को टटोलते हैं तो कभी शुरूआत में दी गई सामग्री से किताब का जायज़ा लेते हैं। इन सभी गतिविधियों से वे किताबों में छिपी दुनिया के कुछ हिस्सों से रूबरू हो लेते हैं और लगा लेते हैं दांव उन किताबों पर। कभी कोई बच्चा किसी जादूई दुनिया के बाशिंदों की तस्वीरें देखकर उनमें खो जाता है तो कभी कोई बड़ा किसी आवरण पर बने किसी गंभीर चित्र को देखकर उसमें खो जाता है। किताबों का मेला अपने-आप में हर किताब के अंदर छिपे एक मेले को खोलने की संभावना रखता है।

इस  पुस्तक मेले को बहु-आयामी बनाता है यहाँ पर बनाई गई एक स्पेस जिसमें सभी नौ दिन गोष्ठियों और अन्य ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहेगा जिससे लोगों से किताबों, साहित्य और साहित्यकारों का सीधा संवाद स्थापित हो सके। आगरा शहर में इस तरह के सुनियोजित तरह से आयोजित पुस्तक मेले बहुत काम ही देखने को मिलते हैं। साहित्य अकादमी, किताबघर प्रकाशन, गौतम बुक सेंटर और सामयिक प्रकाशन जैसे कई महत्वपूर्ण प्रकाशन समूह  यहाँ पर हिंदी और अंग्रेज़ी किताबों की स्टॉल लगाए हुए हैं वहीं बेहतरीन अंग्रेज़ी पुस्तकों की भी यहां पर कोई कमी नहीं है। अनुवादित किताबों का भी अच्छा संग्रह यहाँ पर उपलब्ध है जिससे आप देश-विदेश की कई भाषाओं के साहित्य से साक्षात्कार कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *